1. संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया | Combination or synthesis reaction
संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ भाग लेते है और परस्पर आपस मे संयोग कर एक नए पदार्थ का निर्माण करते है संयोजन अभीक्रिया के फलस्वरूप बनने वाले नए पदार्थ के गुण अपने मूल पदार्थ से पूरा अलग होता है।
Note - केवल तत्वो और यौगिक के बीच ही संयोजन अभिक्रिया हो सकती है।
A . तत्व और तत्व के बीच संयोजन
दो तत्व आपस मव संयोग कर एक नए यौगिक का निर्माण करते है ऐसे अभिक्रियाओं में
(i) कार्बोन (C) ऑक्सीजन (O2) के बीच का संयोग
दोनों के संयोग से निर्मित गैस कार्बोंडिओक्सीड (CO2) जिसका गुण कार्बन और ऑक्सीजन दोनों से भिन्न है।
C + O2 → CO2
Carbon Oxygen. Carbon dioxide
(ii) मैग्नीशियम (Mg) तथा ऑक्सीजन (O2) के बीच की संयोग
मैग्नीशियम को हवा की उपस्थिति में जलने पर सफेद मैग्नीशियम ऑक्साइड का पाउडर का निर्माण करता है।
2Mg + O2 → 2MgO
Magnesium Oxygen. Magnesium dioxide
(iii) लोहे (Fe) तथा गंधक (S) के बीच की संयोगचूर्णित लोहे और गंधक के मिश्रण को गर्म करके आयरन सलफेट( फेरस सलफेट ) प्राप्त किया जाता है।
Fe + S → FeS
फेरस सल्फर फेरस सलफेट
B . तत्व और यौगिक के बीच संयोजन अभिक्रिया
इस तरह के अभिक्रिया में कोई एक तत्व किसी अन्य यौगिक के साथ संयोग (अभिक्रिया) कर के नए यौगिक का बनाता है। इसके निम्न उदाहरण हैं -
(i) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और ऑक्सीजन (O2) के बीच होने वाली अभिक्रिया कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
2CO + O2 → 2CO2
Carbon monoxide Oxygen. Catbon dioxide
(ii) सल्फर डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के बीच की अभिक्रिया
सल्फर डाईऑक्साइड ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण करता है।
2SO2 + O2 → 2SO3
सल्फर डाइऑक्साइड Oxygen. सल्फर डाइऑक्साइड
C. संयोजन अभिक्रिया 2 या उससे अधिक यौगिकों के बीच
(i) सल्फर डाइऑक्साइड और जल के बीच की अभिक्रिया
सल्फर डाइऑक्साइड और जल बीच अभिक्रिया के बाद सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण होता है।SO3 + H2O → H2SO4
सल्फर ट्राईऑक्साइड जल सल्फ्यूरिक अम्ल
(ii) कैल्शियम ऑक्साइड और जल के बीच की अभिक्रिया
कैल्शियम ऑक्साइड या कली-चुना जब जल से अभिक्रिया करती है तो कैल्शियम हाइड्रोक्साइड या भखरा चूना देता है और साथ में उत्सर्जित करता है पर्याप्त मात्रा में ऊष्मा। इस तरह की अभिक्रिया को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया भी कहते हैं इस तरह के रसायनिक अभिक्रिया के रासायनिक समीकरण लिखते समय प्रतिफल के साथ + ऊष्मा लिख दिया जाता है।
CaO + H2O → Ca(OH)2
कैल्शियम ऑक्साइड जल कैल्शियम हाइड्रोक्साइड
उपयोग - कैल्शियम ऑक्साइड और जल के विलियम को कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड या भखरा चूना कि कहा जाता है इसका उपयोग मुख्यतः दीवारों पर रंग पुताई करने में किया जाता है। दीवार पर पुताई के बाद यह विलियन वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड को सोख कर धीरे-धीरे सफेद कैल्शियम कार्बोनेट में परिवर्तित होने लगता है जिससे दीवार की चमक धीरे धीरे बढ़ने लगती है।
Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
कैल्शियम ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड कैल्शियम कार्बोनेट जल
वियोजन या अपघटन अभिक्रिया | Decomposition reaction
ऐसी अभिक्रिया जिसके अंतर्गत किसी भी यौगिक के एक बड़े अणु के टूटने से दो या दो से अधिक छोटे-छोटे सरल यौगिक अणु का निर्माण होता है और नए बने योग्य अनु फागुन मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल अलग होता है ऐसी अभिक्रिया को वियोजन या अपघटन अभिक्रिया कहा जाता है।
अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह अभिक्रिया संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है इस अभिक्रिया के परिणाम स्वरुप बने नए पदार्थ तत्व या यौगिक हो सकते हैं। इसे हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं-
हरे हल्केे रंग वाले फेरस सल्फेट के कुछ रवे को एक परखनली में लेकर गर्म करने पर फेरस सल्फेट के रावे में उपस्थित जल वाष्प बनकर वाष्पित हो जाते है जिसके फलस्वरुप हरा रंग गायब हो जाता है। इसके बाद बचा हुआ अनार्द्र फेरस सल्फेट अपघटित होने के बाद भूरे रंग के ठोस फेरिक ऑक्साइड में बदल जाता है इसके साथ ही सल्फर डाइऑक्साइड और सल्फर ट्राई ऑक्साइड जैसी गैसों को भी उत्सर्जित करता है। क्योंकि यह अभिक्रिया को घटित होने में ऊष्मा की आवश्यकता पड़ती है या उष्मा के प्रभाव से कराई जाती है।
"अतः ऐसे अभीक्रियाओं को उष्मीय अपघटन अभिक्रियाएं भी कहते हैं और जिस अभिक्रिया को घटित होने में ऊष्मा की आवश्यकता पड़ती है ऐसे अभिक्रिया को उष्मशोषि अभिक्रिया भी कहा जाता है। "
(i) किसी कंटेनर में रखे सोडियम ब्रोमाइड से होकर क्लोरीन गैस प्रवाहित कराया जाता है तो उस बिलियन मैं ब्रोमीन गैस की उत्पत्ति होने के कारण बिलियन का रंग भूरा खो जाता है तथा साथ ही सोडियम क्लोराइड का भी निर्माण होता है।
सामान्यतः अम्ल से हाइड्रोजन का विस्थापन कुछ अधिक क्रियाशील धातुओं की मदद से कर सकते हैं उदाहरण के लिए जब तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के विलियन में छोटे-छोटे जिंक के कुछ टुकड़े डालते हैं तो उनसे हाइड्रोजन गैस के बुलबुले निकलती है तथा बिलियन में बचे शेष जिंक सल्फेट प्राप्त होता है।
इस अभिक्रिया में दो योगिक आपस में अपने आयनों का आदान प्रदान करके दो नए यौगिकों का निर्माण करते हैं। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं।
(i) जब सिल्वर नाइट्रेट के विलियन में सोडियम क्लोराइड के विलेन को मिलाया जाता है तो इसके फलस्वरुप सिल्वर क्लोराइड और सोडियम नाइट्रेट का निर्माण होता है सिल्वर क्लोराइड का बच्चे थक्के के रूप में बर्तन के निचले स्तर पर जमा हो जाता है।
(i) हाइड्रोजन क्लोराइड बनाने के लिए प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया की मदद ली जाती है । जब हाइड्रोजन और क्लोरीन गैस के मिश्रण को एक दूसरे के साथ परस्पर मिलाकर प्रकाश की अनुपस्थिति में रखा जाता है तो ऐसा देखा जाता है कि उन दोनों के बीच कोई अभिक्रिया संपन्न नहीं होती और वह एक दूसरे के साथ मिलकर कोई नया पदार्थ का निर्माण नहीं करते किंतु जब इन्हें सूर्य के प्रकाश में लाया जाता है तो यह एक दूसरे से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन क्लोराइड का निर्माण करते हैं।
अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह अभिक्रिया संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है इस अभिक्रिया के परिणाम स्वरुप बने नए पदार्थ तत्व या यौगिक हो सकते हैं। इसे हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं-
(i) पोटेशियम क्लोराइड का वियोजन
पोटेशियम क्लोरेट को जब गर्म किया जाता है तो पोटेशियम क्लोरेट अपघटित होकर पोटेशियम क्लोराइड देता है तथा साथ में ऑक्सीजन गैस उत्सर्जित करता है।
2KClO3 → 2KCl + 3O2 ↑
पोटेशियम क्लोरेट पोटेशियम क्लोराइड ऑक्सीजन
(ii) फेरस सल्फेट का वियोजन
"अतः ऐसे अभीक्रियाओं को उष्मीय अपघटन अभिक्रियाएं भी कहते हैं और जिस अभिक्रिया को घटित होने में ऊष्मा की आवश्यकता पड़ती है ऐसे अभिक्रिया को उष्मशोषि अभिक्रिया भी कहा जाता है। "
FeSO4 • 7H2O → FeSO + 7H2O
FeSO4 → Fe2SO3 + SO2 ↑ + SO3 ↑
(iii) कैल्शियम कार्बोनेट का अपघटन
जब कैल्शियम कार्बोनेट को परखनली में रखकर एक बर्नर की सहायता से गर्म किया जाता है तो कैल्शियम कार्बोनेट अपघटित होकर कैल्शियम ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
CaCO3 → CaO + CO2
कैल्सियम कार्बोनेट कैल्सियम ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड
3 विद्युत अपघटन | Electric decomposition
जब धातुओं के ऑक्साइड एवं क्लोराइड विलियन में से विद्युत धारा को प्रवाहित कराई जाती है तो धातु कैथोड पर और क्लोरीन या ऑक्सीजन गैस एनोड पर मुक्त होती है इसे हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं-
(i) सोडियम क्लोराइड के द्रवित घोल का विद्युत अपघटन
जब सोडियम क्लोराइड के द्रवित विलियन से विद्युत धारा प्रवाहित कराई जाती है तो सोडियम क्लोराइड अपघटित होकर सोडियम धातु कैथोड पर और क्लोरीन गैस एनोड पर उत्सर्जित करता है ।
2NaCl → 2Na + Cl2
(ii) द्रवित अलमुनियम का विद्युत अपघटन
जब द्रवित एलुमिनियम आक्साइड के गोल से विद्युत धारा को पास कराया जाता है तो एलमुनियम ऑक्साइड अपघटित होकर कैथोड पर अल्मुनियम धातु तथा ऑक्सीजन गैस एनोड पर मुक्त करता है।
2Al2O3 → 4Al + 3O2
जल का विद्युत अपघटन
विद्युत धारा को जब जल सेव कर गुजारा जाता है तो जल अपघटित होकर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभक्त हो जाता है ऑक्सीजन एनोड पर तथा हाइड्रोजन कैथोड पर मुक्त होता इस परिस्थिति में हाइड्रोजन पर धनात्मक चार्ज होने के कारण इलेक्ट्रोड पर मुक्त होता है।
2H2O → 2H2 + O2
4. एकलविस्थापन अभिक्रियाएं - Single Displacement Reaction
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले यौगिक में उपस्थित किसी परमाणु या परमाणुओं के समूह को किसी दूसरे परमाणु द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है तो ऐसे विस्थापन एकल विस्थापन कहलाता है तथा ऐसी अभिक्रिया एकल विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है। इसके निम्न उदाहरण हैं।
A. अधिक क्रियाशील धातु द्वारा कम क्रियाशील धातु का विस्थापन
एकल विस्थापन अभिक्रिया के अंतर्गत आने वाले कुछ ऐसे अभिक्रिया जिसमें कम क्रियाशील धातु का विस्थापन किसी दूसरे अधिक क्रियाशील धातु के द्वारा होता है ऐसे कुछ अभिक्रियाओं के उदाहरण इस प्रकार हैं।
(I) जब नीले रंग के कॉपर सल्फेट के जलीय विलियन में किसी लोहे के काटी को डुबोया जाता है तो वह थोड़ी देर बाद उसे विलियन से कॉपर को विस्थापित कर देता है और इस अभिक्रिया के फलस्वरुप कॉपर सल्फेट के विलयन नीले रंग से बदलकर हल्के हरे रंग का हो जाता है और साथ ही कतई के सतह पे हल्के भूरे रंग का एक लरत जैम जाता है जो भूरे रंग का परत कॉपर की है। इस अभिक्रिया से ये भी सिद्ध होता है कि कॉपर लोहे से अधिक क्रियाशील है।
Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu
लोहा कॉपर सल्फेट फेरस सल्फेट कॉपर
(ii) एकल विस्थापन विधि द्वारा ही सिल्वर नाइट्रेट के विलियम से सिल्वर को अलग किया जाता है इस विधि में कॉपर के एक प्लेट को सिल्वर नाइट्रेट के जलीय विलियन में डाला जाता है और रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरुप सिल्वर कॉपर द्वारा विस्थापित हो जाता है। इस विदेशी यह स्पष्ट होता है कि कॉपर सिल्वर से अधिक क्रियाशील होता है।
Cu + 2AgNO3 → Cu(NO3)2 + 2Ag
कॉपर सिल्वर नाइट्रेट कॉपर नाइट्रेट सिल्वर
(iii) इसी तरह जब कॉपर सल्फेट के विलियन में ज़िंक के कुछ टुकड़े को डाला जाता है तो विलियन में उपस्थित कॉपर सल्फेट मैं उपस्थित कॉपर जिंक के द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है इस अभिक्रिया के कारण हल्के लाल रंग कॉपर का पृथ्वी की सतह पर जम जाता है धीरे धीरे कॉपर सल्फेट के विलियन का नीला रंग बदलने लगता है और कुछ समय बाद रंगहीन जिंक सल्फेट बन जाता है इस अभिक्रिया से यह भी सिद्ध होता है कि क्रियाशीलता में जिंक कॉपर से अधिक सक्रिय है।
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
जिंक कॉपर सल्फेट जिंक सल्फेट कॉपर
B . यौगिक में उपस्थित कम क्रियाशील धातु का योगिक से विस्थापन
(i) किसी कंटेनर में रखे सोडियम ब्रोमाइड से होकर क्लोरीन गैस प्रवाहित कराया जाता है तो उस बिलियन मैं ब्रोमीन गैस की उत्पत्ति होने के कारण बिलियन का रंग भूरा खो जाता है तथा साथ ही सोडियम क्लोराइड का भी निर्माण होता है।
2NaBr + Cl2 → NaCl + Br
सोडियम ब्रोमाइड क्लोरीन सोडियम क्लोराइड ब्रोमीन
(ii) इस प्रकार जब पोटेशियम आयोडाइड के विलेन सेट यूरिन का स्कोर गुजारा जाता है तो विलियम में पोटेशियम क्लोराइड और आयोडीन का निर्माण होता है जिसके फलस्वरुप विलयन का रंग बैगनी रंग का हो जाता है। ऊपर क्या वेकेशन समझ सकते हैं कि ब्रोमीन आयोडीन के अपेक्षा क्लोरीन की क्रियाशीलता अधिक होती है।
2KI + Cl2 → 2KCl + I2
पोटेशियम आयोडाइड क्लोरीन पोटेशियम क्लोराइड आयोडीन
C . अम्ल से हाइड्रोजन का विस्थापन
सामान्यतः अम्ल से हाइड्रोजन का विस्थापन कुछ अधिक क्रियाशील धातुओं की मदद से कर सकते हैं उदाहरण के लिए जब तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के विलियन में छोटे-छोटे जिंक के कुछ टुकड़े डालते हैं तो उनसे हाइड्रोजन गैस के बुलबुले निकलती है तथा बिलियन में बचे शेष जिंक सल्फेट प्राप्त होता है।
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 ↑
जिंक सल्फ्यूरिक अम्ल जिंक सल्फेट हाइड्रोजन
एसिटिक अम्ल फास्फोरिक अम्ल और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से भी जिंक के मदद से हाइड्रोजन का विस्थापन किया जा सकता है।
5. उभय-विस्थापन अभिक्रियाएं | Double-displacement reaction
इस अभिक्रिया में दो योगिक आपस में अपने आयनों का आदान प्रदान करके दो नए यौगिकों का निर्माण करते हैं। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं।
(i) जब सिल्वर नाइट्रेट के विलियन में सोडियम क्लोराइड के विलेन को मिलाया जाता है तो इसके फलस्वरुप सिल्वर क्लोराइड और सोडियम नाइट्रेट का निर्माण होता है सिल्वर क्लोराइड का बच्चे थक्के के रूप में बर्तन के निचले स्तर पर जमा हो जाता है।
NaCl + AgNO3 → AgCl ↓ + NaNO3
सोडियम क्लोराइड सिल्वर नाइट्रेट सिल्वर क्लोराइड सोडियम नाइट्रेट
(ii) इसी प्रकार जब बेरियम क्लोराइड के विलयन को सोडियम सल्फेट के विलियन के साथ मिलाया जाता है तो रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरुप उनमें उभय विस्थापन अभिक्रिया भी संपन्न होती है तथा बेरियम सल्फेट के सफेद थक्के बर्तन के निचली सतह पर जमा होता है और सोडियम क्लोराइड में मिलियन में ही उपस्थित रहता है ।
BaCl2 + Na2SO4 → BaSO4 ↓ + 2NaCl
बेरियम क्लोराइड सोडियम सल्फेट बेरियम सल्फेट सोडियम क्लोराइड
(iii) फेरस सल्फाइड और सल्फ्यूरिक अम्ल कि जब अभिक्रिया कराई जाती है तो वह आपस में अगर किया कर हाइड्रोजन सल्फाइड गैस और फेरस सल्फेट का निर्माण करता है ।
FeS + H2SO4 → FeSO4 + H2S ↑
फेरस सल्फेट सल्फ्यूरिक अम्ल फेरस सल्फेट हाइड्रोजन सल्फाइड
(iv) जब नीले रंग वाले कॉपर सल्फेट के विलियन में से हाइड्रोजन सल्फाइड गैस को प्रवाहित किया जाता है कॉपर सल्फेट का काला थका अवक्षेप के रुप में प्राप्त होता है और सल्फ्यूरिक अम्ल विलियन में है उपस्थित रहता है ।
CuSO4 + H2S → CuS ↓ + H2SO4
कॉपर सल्फेट हाइड्रोजन सल्फाइड कॉपर सल्फाइड सल्फ्यूरिक अम्ल
6. अवक्षेपण अभिक्रियाएं | Precipitation reaction
कुछ ऐसे रासायनिक अभिक्रिया है जिसके घटित होने के फलस्वरुप प्राप्त होने वाले प्रतिफल ठोस के रूप में विलयन से पृथक हो जाते हैं ऐसे अभिक्रिया अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाती है और ठोस के रूप में अलग होने वाले पदार्थ को अवक्षेप कहते हैं। उदाहरण के लिए जब सिल्वर नाइट्रेट विलियन को सोडियम क्लोराइड के विलयन में मिलाया जाता है तो दोनों विलियन यौगिक अणु के बीच उभय विस्थापन अभिक्रिया संपन्न होती है जिसके फलस्वरुप हमें सिल्वर क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होता है।
NaCl + AgNO3 → AgCl ↓ + NaNO3
सोडियम क्लोराइड सिल्वर नाइट्रेट सिल्वर क्लोराइड सोडियम नाइट्रेट
7 . उदासीनीकरण अभिक्रियाएं | Neutralisation reaction
जब हम और भस्म आपस में अभिक्रिया कर लवण और जल का निर्माण करते हैं तो ऐसी अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहा जाता है।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है ।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है ।
(i)जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया करती है तो सोडियम क्लोराइड और जल का निर्माण करता है।
HCl + NaOH → NaCl + H2O
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्साइड सोडियम क्लोराइड जल
(ii) जब सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया पोटेशियम हाइड्रोक्साइड के साथ होती है तो पोटेशियम सल्फेट और जल का निर्माण होता है इन अभिक्रियाओं में हम और भस्म एक दूसरे के गुणों को नष्ट कर देते हैं और एक नए गुण वाला पदार्थ का निर्माण होता है।
H2SO4 + KOH → K2SO4 + 2H2O
सल्फ्यूरिक अम्ल पोटेशियम हाइड्रोक्साइड पोटेशियम सल्फेट जल
8.प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएं | Photochemical reaction
कुछ ऐसे रासायनिक अभिक्रिया होते हैं जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ही घटित होती है प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया कहां जाता है । इसके निम्न उदाहरण
(i) हाइड्रोजन क्लोराइड बनाने के लिए प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया की मदद ली जाती है । जब हाइड्रोजन और क्लोरीन गैस के मिश्रण को एक दूसरे के साथ परस्पर मिलाकर प्रकाश की अनुपस्थिति में रखा जाता है तो ऐसा देखा जाता है कि उन दोनों के बीच कोई अभिक्रिया संपन्न नहीं होती और वह एक दूसरे के साथ मिलकर कोई नया पदार्थ का निर्माण नहीं करते किंतु जब इन्हें सूर्य के प्रकाश में लाया जाता है तो यह एक दूसरे से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन क्लोराइड का निर्माण करते हैं।
H2 + Cl2 → HCL
हाइड्रोजन क्लोरीन. हाइड्रोक्लोरिक
(ii) पौधों द्वारा अपने भोजन तैयार करने में संपन्न प्रकाश संश्लेषण की अभिक्रिया भी एक प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया का अच्छा उदाहरण है। इसके अंतर्गत पौधा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बन डाइऑक्साइड और भूमि से जल अवशोषित कर अपना भोजन (कार्बोहाइड्रेट) तैयार करते हैं।
6CO2 + 6H2O → C6H12O6 + 6O2
कार्बन डाइऑक्साइड जल. ग्लूकोज ऑक्सीजन
(iii) सिल्वर क्लोराइड को अपघटित करने के लिए प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया विधि का ही उपयोग किया जाता है सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सिल्वर क्लोराइड अपघटित होकर सिल्वर और क्लोरीन में अलग अलग हो जाते हैं।
2AgCl → 2Ag + Cl2 ↑
सिल्वर क्लोराइड सिल्वर क्लोराइड
2AgI → 2Ag + I2 ↑
सिल्वर क्लोराइड सिल्वर आयोडाइड
2AgBr → 2Ag + Br2
सिल्वर ब्रोमाइड सिल्वर ब्रोमाइड