Biogas | गौबर गैस | बायोगैस

बायोगैस या गोबर गैस का परिचय ।

बायोगैस ऐसा गैस है जो पशुओं के मल मूत्र जैसे कि गाय भैस का गोबर , सड़े गले पेड़ पौधे , बेकार सब्जी जैसे कि सब्जियों के छिलके एवं फेकने योग्य हिस्सा आदि का जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में Anaerobic Bioconversion करवाने पर जो गैस निकलती है।

लेकिन सामान्यतः Biogas Plant में गाय का गोबर ( Cow Dung ) भैस का गोबर ( Buffalo Dung ) का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें गोबर का घोल बना कर इसमे डाला जाता है घोल के अकव्ही तरह मिलाह जाता है साथ ही इस घोल में पानी और गोबर का अनुपात सामान रखा जाता है। इसीलिए इसे गोबर गैस संयंत्र भी कहा जाता है।

Biogas Plant से निकलने गैसों के मिश्रण में सबसे अधिक Methan गैस की मात्रा पाई जाती है। इससे निकलने वाले गैसों के मिश्रण में Methan गैस के अलावा भी गैस यौगिक मैजूद रखता है । इन यौगिकों में मुख्य रूप से मीथेन गैस पाया जाता है जिसकी मौजूदगी 50% से 75% तक होती है, इसके अलावे कार्बन डाइऑक्साइड 25% से 50%, नाइट्रोजन की मात्रा 10% तक हो सकती है इसके साथ ही हाइड्रोजन की मात्रा 1%, सुल्फुरे डाइऑक्साइड 3% हो सकती है। इस योगिक में ऑक्सीजन अनुपस्थित रहता है क्योंकि anaerobic bioconversion ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती हैं।

Biogas Plant | बायोगैस संयंत्र | गोबर गैस

बायोगैस संयंत्र खास कर ग्रामीण क्षेत्रो में देखने को मिलता है । इसके दो प्रमुख कारण है पहला की बायोगैस प्लांट के लिए आवश्यक गोबर ग्रामीण आसानी से मिलता है। क्योंकि ग्रामीण इलाके में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर पशुपालन की जाती है। दूसरा गाँवो में सोर्स ऑफ एनर्जी की बहुत कमी होती है इसीलिए ग्रामीण इलाकों में बायोगैस प्लांट की आवश्यकता भी है क्योंकि अभी भी भारत के कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली तथा रसोई गैस नहीं पहुंची है ।
बायोगैस संयंत्र गाय के गोबर एवं और दूसरे जैविक बेकार पदार्थ को आपस में सड़ा कर उससे गैस बनाने का एक संयंत्र है। गोबर गैस संयंत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं एक जिसमे फ्लोटिंग डोम का प्रयोग किया जाता है और दूसरा जिसमें नॉन फ्लोटिंग डोम का प्रयोग किया जाता है।

Mixing Chamber

इसमे मुख्य रूप से गाय या भैस का गोबर और पानी के समान अनुपात में एक mixture तैयार किया जाता है। इस मिक्सचर में पनी और गोबर का अनुपात हमेशा समान होती है जैसे 1 kg गोबर में 1 लीटर पानी डाला जाता है। अच्छी तरह मिलाये जाने पर तैयार इस घोल को Slurry कहा जाता है। इसके साथ ही जो भी kitchen wastes जैसे सब्जी के छिलके, बासी भोजन आदि उन्हें भी डाल दिया जाता है। घोल तैयार होने के बाद इसे पाइप या जो भी नली बनी है उसके माध्यम से Digester में पहुँचाया जाता है।

Digester

Biogas Plant में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका Digester का ही होता है। यहां तक पहुचने के बाद mixture का ऑक्सीजन के अनुपस्थिति में Anaerobic BioConversion करवाई जाती है। Conversion के दौरान उत्पन्न गैस Digester के ऊपर वाले हिस्से में एकत्रित होती है। ऊपर एकत्रित गैस को चैम्बर से बाहर निकलने के लिए एक डिलेवरी पाइप लगी होती है जिसे Delivery Outlet पाइप कहा जाता है।

Delivery Outlet Pipe

Digester चैम्बर ऊपर की ओर से फ्लोटिंग डोम ( floating Chamber ) या नॉन फ्लोटिंग डोम ( non floating dome ) से ढका रहता है जो गैस उत्पन्न होने पे गैस container  का भी काम करता है। Delivery Outlet Pipe इसी से जुड़ी रहती है जिसके द्वारा गैस Plant से घरों तक पहुँचायी जाती है साथ ही गैस की प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए के वाल्व ( control valve ) लगा होता है।

Floating Dome

यह digester chamber के ऊपर ढक्कन के रूप में रहता है जो digester के slurry पर तैरता रहता है। डिजेस्टर में गैस उत्पन्न हुए गैस इसी में स्टोर होती है। जो भी गैस डाइजेस्टर में बनता हज वह इस फ्लोटिंग डोम पे बल लगता है जिसके फल स्वरूप dome में गैस कज मात्रा बढ़ने पर यह ऊपर की ओर उठ जाता है। जैसे जैसे गैस का उपयोग होता जाता है डोम पे बल घटता जाता है और यह पुनः धीरे धीरे नीचे चले जाते है। जब कि नॉन फ्लोटिंग डोम एक ही स्थान पे स्थित रहते है।

Controlar Valve

Outlet pipe में लगा कंट्रोल वाल्व रसोई या घरों के लाइट तक पहुँचने वाला गैस का pressur को कम या अधिक करने के लिए किया जाता हैं। जब गैस का उपयोग नही हो रहा हो तो इसी valve की सहायता से गैस की supply बैंड की जाती है एवं जरूरत के समय पुनः supply शुरु व की जाती है।

Out Flow Chamber

Slurry का Anaerobic Bioconversion से गैस उत्पन्न होने के बाद जो Slurry होते है वो mixture Chamber के ठीक दूसरी बने Outlet Chamber में एकत्रित होती है। जिसे आसानी से गैस प्लांट से बाहर निकल लिया जाता है। Outlet Chamber से निकले गए Slurry को Sludge भी कहा जाता है। Sludge भर में Slurry से हल्का होता है इसी लिए जब Digester में slurry डाला जाता है तो पहले जो Sludge बन चुके है वह ऊपर की ओर आकर outlet chamber में जमा हो जाते है है जिसेचैम्बर से बाहर निकल लिया जाता है।

Sludge का उपयोग

Sludge का उपयोग खेतो में जैविक खाद के रूप में किया जाता है। स्लज का उपयोग खाद के रूप में करना बहुत ही लाभ दायक के साथ साथ ये उपजाऊ जमीन को कोई नुकशान भी नही पहुँचता है।

Slurry में सबसे अधिक मात्रा गैस का गाय या भैस के गोबर का होता है जिसको Digester के अंदर बहुत समय तक Anaerobic Bioconversion के बाद बाहर निकल जाता है। Anaerobic conversion छोटे छोटे बेक्टेरिया और माइक्रो ऑर्गनिएसम के द्वरा होती है। इसी लिए sludge में nitrogen की मात्रा अधिक होती है जो जमीन की उर्बरक्ता बढ़ाने में मदद करता है साथ ही इसके लगातार उपयोग से भी उपजाऊ जमीन को कोई नुकसान नही पहुँचता और जमीन की उपज क्षमता बढ़ती है।

जब कि आज कल हो रहे लगातार खेतो में रासायनिक खादों की उपयोग किया जा रहा है जिससे खेतों की उर्बरक्ता तो कम हुई है कही कहीं ऐसा भी देखा गया है कि रासायनिक खाद के प्रयोग से उपजाऊ जमीन भी बंजर हो रही है। लगातार रासायनिक खाद के उपयोग से उपजाऊ जमीन बंजर हो रही वही इनसे उपजे अनाज का सेवन कर लोग लगातार बीमार पड़ रहे है। कोई लाइलाज बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं।

Internal Process Of Digester or Biogas Production | डाइजेस्टर के आंतरिक क्रिया या गोबर गैस का उत्पादन

सबसे पहले बाहर की ओर से डाले जाने वाले Slurry और दूसरे बेकार पदार्थ Digester में डाले जाते है जिसमे बहुत सारे ऐसे जटिल रूप ( Complexes Form ) होते है जो अघुलनशील प्रविर्ती के होते है जैसे कि कार्बोहाइड्रेट जो सबसे पहले Bacterial Hydrolysis प्रक्रिया के द्वारा टूट कर सामान्य रूप में आ जाते है । जिससे sugar और एमिनो एसिड बनता है।

इसके बाद एमिनो एसिड पुनः acidogenic bacterial process से कार्बन डाइऑक्साइड, हीड्रोजन, और एसिटिक एसिड बनाते है जो कुछ ही समय के लिए होते है। इसके बाद आख़िरी प्रक्रिया में एक सूक्ष्मजीव भाग लेते है। जिसमे कोशिका केन्द्र नही होती है और इसे Archea ( Methadone's ) नाम से जाना जाता है। Acidogenic bacterial process में बनी हीड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, एमिनो एसिड, को Archea द्वारा Anaerobic Bioconversion कर मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल दिया जाता है।

Methan एक ज्वलनशील गैस है। बायोगैस के सभी गैसों में मीथेन एक प्रमुख गैस है जिसका उपयोग रसोई गैस के रूप में और लाइटिंग के लिए उपयोग में लाया जाता हैं।

भारत में आज के समय बहुत सारे ऐसे कमेटियां , आर्गेनाईजेशन और कमीशन है जो पिछले के वर्षों से भारत में बायोगैस प्लांट के क्षेत्र में कार्य रात हैं। जिमसें दो प्रमुख है।

  • IARI - Indian Agriculture Research Institute
  • KVIC - Khadi And Village Industries Commission

Important Points from Biogas | गोबर गैस से जुड़ी महत्त्वपूर्ण तथ्य

◆ Biogas Plant के Digester का size या आयतन हमेशा घन मीटर में दर्शाया जाता है।

◆ इसके लिए तापमान का खाश खयाल रखा जाता है। समान्यतः 30 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री सेल्सियस तक बनाये रखना पड़ता है और इसके परिवेश ( ambient ) का ताप 20 डिग्री से 38 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए।

◆ Anaerobic Bioconversion में Archea ( Methadone's ) नामक बैक्टीरिया भाग लेता है।

◆ Anaerobic Bioconversion एक सूक्ष्मजीवी आधारित प्रक्रिया है इसीलिए ताप उसके अनुकूल बनाये रखना महत्वपूर्ण हिस्सा है।

◆ Slurry में पानी और cattle dung का अनुपात 1:1 रखा जाता है।

◆ conversion में निकलने वाले सबसे महत्वपूर्ण गैस मीथेन के साथ कार्बन डाइऑक्साइड का बहु उत्सर्जन होता है।

◆ Spent Slurry या sludge सूक्ष्मजीवी प्रक्रिया से बनने के कारण उसमे नाइट्रोजन और हायड्रोजन की मात्रा होती हैं।

◆ Sludge का उपयोग खेतो में जैविक खाद के रूप में किया जाता है।

◆ Biogas Plant अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में लगाये जा सकते है इसके लिए सबसे जरूरी गोबर की होती है जो गाँव मे आसानी से उपलब्ध होती है।

◆ गाँव मे ऊर्जा स्रोत कम होने के करण बायोगैस प्लांट बहुत तक गाँव वालो की बहित हद तक जरूरत को पूरी कर सकता है।

◆ इससे उत्पन्न गैसों का प्रयोग रसोई में खाना बने में और गैस लाइट जलने में किया जा सकता हैं।

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