हड़प्पा सभ्यता|Harappa Cvilisation
हड़प्पा संस्कृति की जानकारी के स्रोत
हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकरी अलेखक स्रोतों से आज के संयम में उपलब्ध हैं। सबसे पाहले थो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे प्राचीन नगरो के खुदाई से प्रप्त विभिन्न अवशेष जिनमे उस समय के भवनों , गलियो , बाजारों , स्नानागार आदि हड़प्पा संस्कृति पर प्रकाश डालने में सहायता प्रदान करती है। इन अवशेषों से हड़प्पा संस्कृति के नगर निर्माण एवं नागरिक प्रबंध के विषय में व पर्याप्त जानकरी प्राप्त होती है।
इसके अलावे कला के विभिन्न नमूनों जैसे मिट्टी के खिलोने , धातुओ की मूर्तियों इन मूर्तियों में विशेष कर नाचती हुई लड़कियों की तांबे की प्रतिमा थी आदि हड़प्पा के लोगो की कला एवं कारीगरी पर पर्याप्त प्रकाश डालने में सहायक हैं. इसके अलावे मोहरो से, जो अपने में ही हड़प्पा संस्कृति की विभिन्न पहलु पर काफी जानकारी प्राप्त करने की स्रोत देती है। इससे हड़प्पा संस्कृती से संबधित लोगो के धर्म , पशु पक्षियों एवं पेर पौधों तथा लिपि के उपस्थिति से यह अनुमान लगया जाता है की हड़प्पा के लोग पढ़े लिखे थे। इस लिपि को पढ़े जाने के बाद उनके संबंध में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगीं।
इसके अलावे कला के विभिन्न नमूनों जैसे मिट्टी के खिलोने , धातुओ की मूर्तियों इन मूर्तियों में विशेष कर नाचती हुई लड़कियों की तांबे की प्रतिमा थी आदि हड़प्पा के लोगो की कला एवं कारीगरी पर पर्याप्त प्रकाश डालने में सहायक हैं. इसके अलावे मोहरो से, जो अपने में ही हड़प्पा संस्कृति की विभिन्न पहलु पर काफी जानकारी प्राप्त करने की स्रोत देती है। इससे हड़प्पा संस्कृती से संबधित लोगो के धर्म , पशु पक्षियों एवं पेर पौधों तथा लिपि के उपस्थिति से यह अनुमान लगया जाता है की हड़प्पा के लोग पढ़े लिखे थे। इस लिपि को पढ़े जाने के बाद उनके संबंध में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगीं।
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार
हड़प्पा सभ्यता प्राचीन सभी सभ्यताओ में विशालतम थी। यह उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में नर्मदा घाटी तक पश्चिम में बलूचिस्तान मकरान तट तक से लेकर पूर्व में अलमगिरिपुर ( उत्तर प्रदेश ) तक फैली हुए थी। कुल मिला कर यह सभ्यता पूर्व से पश्चिम तक 1600 km और उत्तर से दक्षिण लगभग 1200 km तक इसका विस्तार था।
हड़प्पा सभ्यता में धार्मिक जीवन
हड़प्पा सभ्यता के खुदाई से मिले धार्मिक तथ्यों से जुड़े चीजे जो या दर्शाती है की हड़प्पा सभ्यता के लोगों के जीवन में धर्म के लिए एक खाश स्थान था । हड़प्पा या सिंधु सभ्यता के धार्मिक जीवन की प्रमुख विशेषताए निम्न है जो खुदाई से पता चला है। इनमे सबसे प्रमुख मातृदेवी की पूजा होती थी , इनमे पशुपति की पूज का भी प्रचलन था जैसे की कूबड़ वाले बैल की पूजा। इसके अतिरिक्त पीपल के पेड़ की भी पूजा किया जाता था, नागपूजा, स्वस्तिष्क या सूर्यपूजा, अग्निपूजा के भी संकेत मील हैं कुछ स्थानों से इन सब के अलावे एक मूर्ति में एक स्त्री के गर्भ से पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है। यह संभवतः धरती देवी का मूर्ति है, संभव है की हड़प्प वाशी धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा करते हो। कुल मिला कर हड़प्प सभ्यता की धार्मिक जीवन काफी हद ताक आज के हिन्दू धर्म के ही समान था। यद्यपि इस सभ्यता की खुदाई में कही से वही मंदिर जैसी कोई अवशेष मिला है.
हड़प्प के देवताओं और धार्मिक प्रथा
हड़प्पावशी बहुदेववाद और पप्रकृति के पूजक थे। मातृदेवी उनकी प्रमुख देवी थी,मिट्टी की बानी स्त्री मूर्ति जो मातृदेवी की प्रतीक है बड़ी संख्या में मिली है। देवताओ में प्रधान पशुपति या आद्य-शिव थे. मोहनजोदाड़ो से प्राप्त मुहर पर योगीश्वर ककी मूर्ति कको पशुपति महादेव माना गया है. सिन्धुवशी नाग , कूबड़दार सैंड, लिंग योनि पीपल के बृक्ष की भी पूजा करते थे । जल पूजा , अग्निपूजा , और बाली प्रथा भी प्रचलित थी। मंदिरो और पुरोहितो का अस्तित्व नही था।
सिंधु घाटी सभ्यता की गृह स्थापत्य
मोहनजोदड़ो के निचले शहर आवाशिये भवन के उदाहरण प्रस्तुत करते है। इसमे से कई एक आंगन पर केंद्रित थे जिसके चारो और कमरे बने थे। संभवतः आंगन खाना पकाने और कतई करने जैसे गतिविधियों का केंद्र था । खाश तौर से गर्मी और शुष्क मौसम में। यहां का एक अन्य रोचक पहलू लोगो द्वारा अपने एकांतता का दिया जाने वाला महत्व था। भूमि तल पर बानी दीवार में खिड़की नही है। इसके अतरिक्त मुख्य द्वार से आंतरिक भाग अथवा आंगन का सीधा अवलोकन नही होता है। हर का ईटो के फर्श से बना अपना एक स्नानागार होता था। जिसकी नालियाँ दीवार केमाध्यम से सड़क की नालियाँ से जुड़ी होती थी. कुछ घरो में दूसरे तलो या छतो पर जाने के लिए बनाई गयी सोढियो की भी अवशेष मील थे। कई आवासों में कुएँ थे जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाये गए थे जिसमे बाहर से आया जा सकता था और जिनका प्रयोग संभवतः राहगीरों द्वारा किया जाता था विद्वन्नो ने अनुमान लगया है की मोहनजोदाड़ो में कुँए की कुल संख्या 700 थी।
हड़प्पा सभ्यता के नालो का निर्माण
हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टताओं में से एक ध्यानपूर्वक नियोजित जल निकासी प्रणाली थी। यदि आप निचले शहर के नक्शे को देखे थो आप यह जान पाएँगे की सड़क तथा गलियो ओ लगभग एक डिग्री पद्धति में बनाई गयी थी और ये एक दूसरे की समकोण पर काटती थी ऐसे प्रतीत होता है की पहले नालियों के साथ गलियो को बनाया गया था और उनके अलग अलग आवास का निर्माण किया गया था । यदि घरों के गंदे पानी को गलियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर के काम से काम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था।
हड़प्पा सभ्यता के सार्वजनिक स्नानागार
मोहनजोदाड़ो में बने सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्व रखता है। यह सिंधु घाटी के लोगोंके कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है की यह स्नानागार धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब बहुत मजबूत बना हुआ है . इसकी दीवारे काफी चौड़ी बानी हुई हैं जो पक्की ईंटो और विशेष प्रकार के सीमेंट से बानी हुई है ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके। तालाब में नीचे उतरने के लिए सीढियाँ भी बानी हुई हैं । पानी निकलने के लिए नालियों का प्रबंध है।
सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण General knowledge के प्रश्न एवं उत्तर ।
01. मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारतों में से एक अन्नागार था.
02. हरप्पा सभ्यता रवि नदी के किनारे अवसिथत है.
03. हड़प्पा सभ्यता के अबतक पता चले सभी नगरो में से केवल छ्ह नगर को ही नगर की संज्ञा दी गयी है.
04. मोहनजोदाड़ो नगर 20 किलोमीटर के घरे में बसा हुआ था.
05. सिधु सभ्यता से संबंधित भिगात्रार नामक पुरास्थल भारत के गुजरात में स्थित है.
06. सिधु सभ्यता से सबंधित रोपड़ नामक सथल का उत्खनन Y. D. Sharma ने करवाया था।
07. व्हिलर और गार्डन ने सबसे पहले कहा था " सिधु सभयता मेसोपोटामिया संस्कृति की देन थी " .
08. सिधु सभ्यता आकर में त्रिभुजाकार था.
09. सिंधु घाटी सभ्यता की खोज दयाराम साहनी द्वरा 1921 में किया गया एवं मोहनजोदड़ो की खोज राखालदास द्वरा 1922 ईस्वी में की गयी थी।
10. हड़प्पा सभ्यता के भवन निर्माण एवं अन्य कामो में ईटो का प्रयोग अधिक किया गया था उपयोग किये गए ईटो का आयतन 1:2:4 था।
11. सिंधु घाटी सभ्यता कास्ययुगीन सभ्यता थी जिसे कस्ययुग के नाम से भी जानना जाता है।
12. संधू घाटी के निवासी को लोहे का ज्ञान नही था।
13. सिंधु घाटी को सैंधव के नाम से भी जाना जाता था।
14. सैन्धव निवासियों का प्रिय पशु सांड हुआ करता था।
15. सैन्धव सभ्यता के अंतर्गत अधिक संख्या में मुहर प्राप्त हुए है जो सेलखड़ी से बिनि हुए है।
16. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ों था।
17. हड़प्पा सभ्यता का प्रशाशनिक सेवा नगरपालिका के तरह था।
18. कालीबंगान वर्तमान समय में भारत के राजस्थान राज्य म स्थित है।
19. सैन्धव सभ्यता में हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख देवता शिव की पूजा की जाती थी
20. सिधु सभ्यता के नृत्य करती लड़कियों की प्रतिमा मोहनजोदड़ो की खुदया में मील है।
21. मोहनजोदड़ो में ही विशाल स्नानागार के अवशेष मील हैं जो सिधु घाटी सभ्यता के स्नानागारों में से एक है।
22. लोथल भोगवा नदी के किनारे बस हुआ है।
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